मेरे पापा मेरा नाम संतोष रखना चाहते थे। मेरी माँ आनंद। संतोष रख देते तो दुनियादारी में रहता। अब किस्मत ने ही नाम आनंद दिया है तो निभाना तो पड़ेगा ही। ये नाम भी बड़ी पावरफुल चीज़ है। अब सुनिए ये वाक़्या,
कुछ बरस पूर्व हम एक समय ट्रैन में यात्रा कर रहे थे। अग्रणी टिकट लिया नहीं, फिर जनरल के दरवाज़े पे खड़े होने की जगह मिली। ऐसे अवसरों के लिए मेरे पास बस्ते में हमेशा एक न एक किताब जरूर होती है। जैसे तैसे मुस्कुरा कर, सॉरी कहकर उस भीड़ में किसी तरह बस्ते से वो किताब निकाली, फिर पढ़ने लगे. देखते देखते १-२ घंटे बीत गए.
“आप बहुत अच्छा पढ़ते हो”
हैं ? मेरे किताब के किरदारों के जमाये महल ये किसने तोडा? मुझसे कोई पांच एक साल बड़े होंगे। मुँह में मसाला। बालों में हलकी से सफेदी। सफ़ेद शर्ट के जेब में हज़ारों बिज़नेस कार्ड्स और कुछ सौ के नोट। खैर हमारी थोड़ी बातचीत हुई। अब बातचीत किस चीज़ पर हुई ये तो याद नहीं, पर करने में मुझे मज़ा आया। उनके जस्बे से ये झलक रहा था की मज़ा तो उन्हें भी आया था।
“इतनी बातें हो गयीं, आपने नाम नहीं बताया।”
“आनंद”
“अरे पूरा नाम बताइये ना.पहले नाम से भी कुछ होता है ?” ये बात उन्होंने एक मास्टरजी द्वारा क्लास के बचे को डांटने की सी मुद्रा में कही। चलिए मान भी लीजिये उनको लगता है की पहले नाम से कुछ नहीं होता, परन्तु उन्होंने ये कैसे सोच लिया जस्ट ऐसे ही मिस कर दूंगा। पहला नाम बताया है क्योंकि यही बताने की इच्छा है। फिर उन्हें जातिवाद ने जो बिगाड़ा है उसपे ५ मिनट खरी खोटी सुना दी।
बाद में अपने गुस्से को जांचा तोह पता चला की ये नाम पूछने के ऐसे कई इवेंट्स पहले हुए हैं और ऐसे कई हैं जिन में कुछ न कुछ लोचा हुआ हो। अब तो मैने दाढ़ी अपनी बढ़ा ली है, तो कोई अँधा भी मुझे “मद्रासी है”, देखते ही कह सकता है। पर उन दिनों में काफी ‘स्टाइलिश’ हुआ करता था. MTV के एक VJ निखिल चिनप्पा की नीचे के होंठ की बीचों बीच एक बालों का छोटा सा झुरमुट, इस से में बहुत प्रभावित हुआ था. कॉलेज लाइफ में सब कुछ ट्राई करके देख लिया। तो कुल मिला के उस समय लोग ये नहीं पहचान पाते थे की में किस प्रान्त का हूँ. महाराष्ट्र में काफी लोग मुझे मराठी समझते. दिल्ली में समझ जाते की साउथ से हूँ. बैंगलोर के लोग मझे दिल्ली का समझते थे. एक तो दिल्ली के नंबर की गाड़ी और हाथ पे कड़ा. जबसे बाल बढे किये हैं और दाढ़ी बढ़ा ली, पंजाब के बहार ही नहीं कुछ कुछ जगहे तो पंजाब के अंदर भी लोग मुझे सरदार समझते हैं। तो जब में अपना नाम के ए आनंद ऐसा बताता हूँ, जो की मेरे सारे आई डी कार्ड में है, कुछ लोगों को लगता है में कंजूसी कर रहा हूँ.
“पूरा नाम बताईये न ”
“अरे सर मेरे ID कार्ड में ऐसा ही है. आप डालिये न बिंदास. ”
“अरे हमारे सिस्टम में ऐसे ही डालना पड़ता है.”
“अच्छा तोह लिखिए के यू आर यू एम्…”
क्योंकि इसके पहले कई बार झेल के ये जान गया हूँ कि ३-४ बार बताने के बाद भी स्पेल ही करना पढता है।
अब मेरे पहले नाम को ही ले लीजिये। कुरुम्बूर। कुरुम्ब माने जिद। हमारे परिवार में लोग अक्सर कहते सुना है कि चूँकि हम लोग इतने जिद्दी हैं इसी लिए कभी तो हमारा ये नाम पड़ा होगा. ऊर तो कई जगहों के नाम के पीछे लगा हुआ है. त्रिशूर, गुरुवायुर, वेल्लोर, वगेरा वगेरा. अब मैंने सोचा की जैसे पुर, वैसे ऊर. ये तोह बाद में पता चला की ऊर मतलब गांव को कहते हैं तमिल में। कॉलेज में इंटरनेट कि सहायता से ये भी पता लगा की कुरुंबूर तोह तमिल नाड का एक गांव है. अब उस गांव वाले जिद्दी होते हैं की नहीं ये तो में नहीं जानता, परन्तु इस बात का काफी भरोसा हो रखा है की पुरखे कभी उसी गांव से आये होंगे। अब देखिये नाम से पर्सनल हिस्ट्री का पता चला न? साउथ के नाम अक्सर लम्बे होने के लिए विख्यात हैं. पर ये लम्बे नाम काफी सारा डाटा लिए हुए हैं। अब लोग उस डाटा का क्या उपयोग करते हैं ये तो उनपर है.
क्या आप लोगों से उनका पूरा नाम पूछते हैं ?
अभी तो नहीं पर हाँ बचपन मैं खूब लोगो ने नाम पुछा और मखौल उड़ाया मेरा |
नाम बताते ही पहला सवाल होता था कहाँ के सम्राट हो और मैं बारे बेबाकी से बताता की अपने दिल का , हाँ जवाब थोड़ा फ़िल्मी है पर यही बताना मेरे बस मैं था |
मेरे नाम का इतिहास भी मजाक है बंधू , मैं इलाहबाद मैं पैदा हुआ था जहाँ हम रहते थे वहां बगल मैं एक इलेक्ट्रिकल शॉप थी जिसका नाम था सम्राट इलेक्ट्रिकल शॉप |
पिताजी को नाम पसंद आया और रख दिया उनको यूनिक लगा होगा | तुम्हारे नाम की तरह गाँव , शहर का नाम तो नहीं था पर सम्राट हूँ ना इसीलिए पूरा साम्राज्य ही समेटा हुआ है मेरे नाम के साथ 🙂 |
वा भई वा। बचपन से हि तेवर बेबाक रहें हैं आपके। और सच हि कहा, दिल के तो आप सम्राट हैं हि।
Nei, pura naam kabhi puchtey nei they…batate bhi nei they, after I un-learnt the lessons on civilized social behavior taught by parents…aur woh bahot jaldi hi hua tha, high school mei hi. Abhi bhi pura naam nei puchtey..ek to suwidha hay is mei, memory ka saath bhi nei milta, isliya short hi sweet hai mere liye. But ‘database’ anthropological details bhi agar naam mei ho, then I guess I wouldn’t mind a third and fourth name too….
Loved reading…..
हमें अच्छा लगा कि आपको अच्छा लगा।